"आज के डॉ साहब"
गरीब जनता का पेट काट
अपनी चर्बी बढ़ा रहे ...
भगवान् कहे जाने वाले
मुर्दों से भी कमा रहे ...
अपनी शान बढ़ाने में
लोगों की आन मिटा डाला
उस भगवान् को क्या पूजूँ
कर्म हुआ , जिसका काला ..
आओ सब मिल कदम बढ़ाएं
संगठित हो इनको समझाएं
हम सब से तुम् हो ...न् की
तुमसे हम सब का जीवन है
ऐसे वैद हुआ करते
सेवा को कर्म समझते ज़ो
धन दौलत रुपया पैसा से
जीवन न् तौला करते वो ..
© रजनिश प्रियदर्शी
20/10/2016
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