Wednesday 8 March 2017

"निर्मोही"

"निर्मोही"

तुम्हारे आभा पे बिंदी बहूत खिलता है ....
वाकय तुम् खूबसूरत लगती हो ....
जब हँसती हो ...मचलती हो ..!!

पता नहीं क्यों ....?

मेरा ध्यान बार-बार...
तुम्हारी ओर आकर्षित होता है ...

सौंदर्य किसी को भी आकर्षित कर सकता है !
ये सच है .....
पर तुम् ही क्यों .......???

पता नहीं क्यों.....
तुझे अन्तर्मन् से देखता हूँ !

ये जानते हुए भी ....!!

की तुम् निर्मोही हो ....
की तुम निर्मोही हो ...

रजनिश प्रियदर्शी 
  22/10/2016

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