"निर्मोही"
तुम्हारे आभा पे बिंदी बहूत खिलता है ....
वाकय तुम् खूबसूरत लगती हो ....
जब हँसती हो ...मचलती हो ..!!
पता नहीं क्यों ....?
मेरा ध्यान बार-बार...
तुम्हारी ओर आकर्षित होता है ...
सौंदर्य किसी को भी आकर्षित कर सकता है !
ये सच है .....
पर तुम् ही क्यों .......???
पता नहीं क्यों.....
तुझे अन्तर्मन् से देखता हूँ !
ये जानते हुए भी ....!!
की तुम् निर्मोही हो ....
की तुम निर्मोही हो ...
रजनिश प्रियदर्शी
22/10/2016
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