"रूप"
उत्श्रृंखलता विशेष्
परन्तु जो सत्य है
कहे देता हूँ ...
अनुपम, अद्भुत
युवचित हारी ...
मृगनयन,
मृदुल भाषी ...
लज्या छोड़
सभी गुणों से
लवलेश हो ...
शायद इसीलिए
मेरे लिए .....
तुम् विशेष् हो ..।।
© रजनिश प्रियदर्शी
04/09/2016
No comments:
Post a Comment