"उसे मैं प्रेम करता हूँ"
जब भी देखूँ उसका चेहरा
ह्रदय से मैं मचलता हूँ .....!
उसके कल्पना के खिस्से
प्रतिदिन में गढ़ता हूँ ........!
उसके सौंदर्य का चर्चा
हजारों बार की मैंने .........!
उसका उत्श्रृंखल होना
मुझे मुस्कान देता है ........!
उसके मृगनयनी आँखे
मुझे दर्पण दिखती है .......!
उसकी लहराती जुल्फ़े
नया अहसास देता है .......!
उसकी छोटी सी मुस्कान
हमारे चित को हर लेती ....!
कोई जा के बता उसको
उसे मन-मंदिर में रखता हूँ !
कोई जाकर तो ये कह दो
उसे मैं प्रेम करता हूँ .....।२।
© रजनिश प्रियदर्शी
22/10/2016
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